अमर बहुत व्यथित था कि कुत्ता उसका भाई औऱ कुत्ते का मल साफ करना उसका रोजगार। कल का सपना बहुत सुहा सुहाना था, सर, लेखक, लड़की जैसी नियामतें उसकी जिंदगी में दस्तक दे रही थीं मगर आज की वास्तविक जिंदगी बहुत बदरंग और बदबूदार। वो उच्च ब्राह्मण कुल में पैदा हुआ और आज उसे रोजगार में क्या करना पड़ा?अमर सर से लेकर अमर नौकर तक का गोल घेरे का सफर ज़िन्दगी ने महज कुछ ही घंटों में तय कर लिया था। वो हालात पर बड़ी सावधानी से विचार करने लगा। पिछली बार की गल्तियां उसे हर्गिज़ नहीं दोहरानी थी जैसे कि अपनी दिल्ली की हाड़ तोड़ कमाई को उसने अपने गांव के मकान में लगाया था मकान मालिक और दूल्हा बनने के लिये। लेकिन ना तो वो गांव में मालिक बन सका, ना दूल्हा और अपनी जमा पूंजी भी गंवा बैठा था और जान के लाले पड़े सो अलग से।