हिम स्पर्श 42

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42 एक दिवस और व्यतीत हो गया। चित्रकारी में अपनी अपनी प्रगति पर वफ़ाई तथा जीत संतुष्ट थे। एक दूसरे की सहायता से, एक दूसरे के सानीध्य से चित्रकारी की नयी नयी रीति सीख रहे थे। कल से पवन भिन्न भाव से बह रहा था। प्रत्येक क्षण में जीवन, आनंद तथा सुख भरा था। आशा एवं उमंग से भरपूर था। वैसे कोई विशेष कारण नहीं था, किन्तु दोनों प्रसन्न थे। दोनों ने नींबू रस लिया, जो भिन्न रूप से मीठा था। नींबू रस एक कड़ी थी दोनों के बीच बिना शब्द कहे अपने मन के भावों को व्यक्त करने