परी

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कश्मीरी गेट दिल्ली के एक फ़्लैट में अनवर की मुलाक़ात परवेज़ से हुई। वो क़तअन मुतअस्सिर न हुआ। परवेज़ निहायत ही बेजान चीज़ थी। अनवर ने जब उस की तरफ़ देखा और उस को आदाब अर्ज़ कहा तो उस ने सोचा “ये क्या है औरत है या मूली” परवेज़ इतनी सफ़ैद थी कि उस की सफेदी बेजान सी होगई थी जिस तरह मूली ठंडी होती है इसी तरह इस का सफ़ैद रंग भी ठंडा था। कमर में हल्का सा ख़म था जैसा कि अक्सर मूलियों में होता है। अनवर ने जब उस को देखा तो उस ने सबज़ दुपट्टा ओढ़ा हुआ था। ग़ालिबन यही वजह है कि उस को परवेज़ हूबहू मूली नज़र आई जिस के साथ सबज़ पत्ते लगे हों।