तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - 3

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उन्होंने तैयार होते हुए शीशे मंे खुद को देखा है...... कितने कमजोर हो गये हैं.... आप। अपना अच्छे से ख्याल नहीं रखते.....? लगा अप्पी की आवाज है ये......पता नहीं कब से ऐसा होने लगा है वो अपने आप को अप्पी की नजर से देखने लगे हैं कोई कैसे अनुपस्थित रहते हुए भी हरदम उपस्थित रहता है।