एक प्रेम की परिणीति

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आज ही महाबलेश्‍वर पहुंचा हूं। ताज रिसॉर्ट में अपने कमरे में पहुंच, पलंग पर पसरकर सुकून की सांसें ले रहा हूं। अमूमन, जो सुकून कुछ व्यक्तियों को किसी व्यावसायिक दौरे से थक-हारकर घर लौटने पर मिलता है, वही सुकून, वही राहत मैं घर से दूर किसी ऐसे ही होटल के कमरे में पाता हूं। तब ये कमरा मुझे नितांत निजी लगता है। ये कमरा मुझे एक ऐसा स्पेस देता है, जहां मैं स्वयं से संवाद कर सकूं। अपनी कल्पनाओं में विचर सकूं। अपने अतीत को जी सकूं। ऐसा करना मेरे लिए ज़रूरी है। शायद मैं स्वप्निल लोक में जीनेवाला इंसान