39 दो दिवस तक वफ़ाई अविरत रूप से चित्रकारी सीखती रही। अब वह गगन, बादल, पंखी आदि के चित्र बनाने में सक्षम थी। किन्तु वह तूलिका से संतुष्ट नहीं थी क्यों कि वह वफ़ाई की इच्छानुसार रंग भरने में सहाय नहीं कर रही थी। तूलिका के ऊपर वफ़ाई का नियंत्रण अभी बाकी था। जीत ने भी अपनी कला में सुधार किया था। अब वह किसी भी पदार्थ जो उसकी आँखों के सामने हो उसका चित्र बना सकता था। वह सब चित्र अच्छे तो लगते थे किन्तु कुछ अभाव था जो चित्र को पूर्ण नहीं बना रहा था। जीत उस