हिम स्पर्श - 38

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38 “तुम मुझे चित्रकला कब सिखाओगे?” वफ़ाई ने पूछा। “वफ़ाई, मुझे विस्मय है कि तुम अभी भी सीखना चाहती हो।“ “मैं मेरा वचन पूर्ण करना चाहती हूँ।“ “तुम उतावली हो रही हो।” “कोई संदेह, जीत?” “जिस से तुम यहाँ से अति शीघ्र भाग सको।’ “मैं ना तो यहाँ से, ना ही तुम से भागने वाली हूँ।“ “तो इतनी अधीर क्यों हो? इतनी उतावली क्यों हो? तुम्हारे पास भी समय नहीं बचा क्या?” “मैं? नहीं तो? किन्तु मुझे ज्ञात है कि तुम्हारे पास समय नहीं बचा है।“ “मैं नहीं जानता।“ जीत ने गहरी सांस ली। “तुम भली भांति जानते हो,