ढोलक की थाप

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लघुकथा ढोलक की थाप आय - हाय . बेटा बन गया दूल्हा . ले आया दुल्हन . दूधों नहाओ - पूतो फलों . खुले हाथों से जोर - जोर से तालिओं कि गड़गड़ाहट होने लगी . साथ ही एक - दो थाप ढोलक के भी सुनाई दे रहे थे सुबह - सुबह घर के सब लोग जब अपने - अपने नित्य कर्मों को निपटाने में लगे थे , तभी घर के गेट पर इस तरह की निरंकुश आवाजों ने अतिरंजित सनसनाहट पैदा कर दी .माँ को , घर में ब्याह की गहमागहमी से कल ही फुरसत मिली थी