नवाब सलीमुल्लाह ख़ान

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नवाब सलीम अल्लाह ख़ां बड़े ठाट के आदमी थे। अपने शहर में इन का शुमार बहुत बड़े रईसों में होता था। मगर वो ओबाश नहीं थे, ना ऐश-परस्त, बड़ी ख़ामोश और संजीदा ज़िंदगी बसर करते थे। गिनती के चंद आदमियों से मिलना और बस वो भी जो उन की पसंद के हैं। दावतें आम होती थीं। शराब के दौर भी चलते थे मगर हद-ए-एतिदाल तक। वो ज़िंदगी के हर शोबे में एतिदाल के क़ाइल थे।