हिम स्पर्श - 34

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“जीत, चलो मैं मान लेती हूँ कि गेलिना यहाँ आई थी और उसने तुम्हें चित्रकला सिखाई।“ “हाँ, वह आई थी, यहाँ, इस घर में। इस कक्ष में, इस मरुभूमि में वह आई थी। उसे झूला झूलना पसंद था। वह इस झूले पर झूलती थी। वहाँ, जहां अभी तुम बैठी हो वहीं वह बैठती थी। यह झूला उसे...।” “इस झूले पर? इस स्थान पर? कितना मधुर होगा वह समय?” वफ़ाई प्रसन्न हो गई। “हाँ, वह चार दिवस मधुर थे। वह समय अदभूत था।“ “किन्तु मेरा दूसरा निष्कर्ष अभी भी कह रहा है कि तुम मेरा चित्र बना सकते हो। बस,