सड़कछाप - 7

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काफी देर बाद सरोजा के होशोहवास काबू में आये। उसे लगता था कि उसका सारा शरीर किसी ने आरी से टुकड़े-टुकड़े कर दिया हो। पूरे बदन के पोर-पोर से बेपनाह दर्द उठ रहा था। पूरा मुंह नोचा-सूजा हुआ था। वक्ष पर नाखूनों से नोचे और दांत से काटे जाने की अनगिनत निशानियां मौजूद थीं। जननांगों से काफी खून गिरा था और रिस भी रहा था। तन के कपड़े फटे थे। वो बमुश्किल उठी और बाहर आयी। बाहर अभी भी अंधेरा और कोहरा था । रामजस वैसे ही बरामदे की फर्श पर पड़े थे। उसके घर का मुख्य दरवाजा बंद था। उसे घर के अंदर उसी रास्ते से जाना था जिस रास्ते से वो वापस आयी थी। वो बमुश्किल चलते हुऐ उस जगह पहुंची जहां उससे टार्च और छूरी छीनी गयी थी। टॉर्च जमीन पर जलती हुई ही पड़ी मिली।