अच्छाईयां

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लेखांक – १ मुंबई से रात को निकली बस की ये सवारी सुबह की पहली किरन के साथ अपने आखरी मुकाम तक पहुच चुकी थी शहर की भीड़ में बसने अपनी रफ़्तार कम कर ली थी सुबह की धुप के साथ ये शहर मानो फिर से सजने लगा था मुंबई से भले ये छोटा शहर हो मगर यहाँ पर भी लोग सुबह में लोग घर छोड़कर रास्तो पर निकल आये थे, कोई दौड़ रहा था तो कई लोग मिलके सुबह की चाय का आनंद ले रहे थे घर में बीबी के हाथ की चाय भले ही