लौट आओ दीपशिखा - 6

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“पोंपेदूसेंटर? यह क्या बला है?” “नील, बला नहीं यह बीसवीं शताब्दी का संग्रहालय है जिसे फ्रांस के राष्ट्रपति जॉर्ज पोंपेदू ने बनवाया था इसलिए इसका नाम पोंपेदू सेंटर के रूप में फ़ेमस हुआ ” “चलिए मैम..... फिलहाल तो होटल आबाद करिए ”कार खूबसूरत बगीचे वाले लॉन के एक ओर पार्किंग प्लेस पर रुकी ऊँची-ऊँची चॉकलेटी बुर्जियों वाला गिरजाघर जैसादिखता होटल बेहद भव्य रिसेप्शन..... उतना ही भव्य उनका स्वागत कोचपहले ही पहुँच चुकी थीं और पूरी यूनिट बाकायदा अपने-अपने कमरों में बंद हो चुकी थीं नीलकांत के और दीपशिखा के सुइट कीचाबियाँ लेकर होटल बॉय पहुँचचुका था सुइट आजू-बाजू ही थे