चरित्रहीन...

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"आ गई मेमसाब गुलछर्रे उड़ाके!! "अभी श्यामली के कदम घरमें पड़ने ही वाले थे की वहीं जम गए. "अरे! आप अभी तक सोए नहीं!!"बड़े ही मधुर स्वर में श्यामली ने सुबोध से कहा,, "और खाना खाया या नहीं?? ""मैं मर भी जाऊं तो तुम्हें क्याँ फर्क पड़ेगा!! तुम्हें तो आज़ादी मिल जाएगी, बंधन भी तो नहीं रहेगा कोई",सुबोध बहुत गुस्से में था... सुबोध एक बहुत बड़ी कंपनी मैं नौकरी करता था, आय भी अच्छी थी, फिर श्यामली जैसी सुंदर लड़की से शादी हुई, वो तो जैसे हवा में उड़ चला, न पैसे की कमी थी न प्यार की, और इस ख़ुशी में