लौट आओ दीपशिखा - 5

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चाँगथाँग वैली में झील के ऊपर कुछ काली पूँछ वाले परिंदे उड़ रहे थे काली गर्दन वाले सारस भी थे लद्दाख़ में इन्हें समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इसीलिए बौद्ध मठों की दीवारों पर इन्हें उकेरा जाता है दीपशिखा ने चलती कार में ही इस दृश्य का स्केच बना लिया नीलकांत उसे मुग्ध आँखों से निहारता रहा चढ़ाईपर हवा का दबाव काफ़ी कम था बर्फ़ानी विरल हवा में साँस भरना मुश्किल हो गया सुलोचना ने कपूर उसके पर्स में रखते हुए कहा था- “चढ़ाई पर इसकी ज़रुरत पड़ेगी सूँघती रहना यह एक अच्छा ऑक्सीजनवाहक है ”