संध्या होते ही दिलशाद नेल्सन के पास जाने निकली। दिलशाद के पैरों में कोई विशेष बात थी, नेल्सन से मिलने को उतावले थे वह। जीत ने उस चाल को भांप लिया, कुछ ना बोला, बस देखता रहा। दिलशाद चली गयी। जब वह नेल्सन के पास पहोंची, दो रोगी नेल्सन की प्रतीक्षा कर रहे थे। दिलशाद समय के बीतने की प्रतीक्षा करने लगी। नेल्सन को SMS कर के अपने आने की सूचना दे दी। नेल्सन ने शीघ्रता से दोनों को निपटा दिया। दिलशाद अंदर चली गई। यह पहला अवसर था कि दिलशाद अकेली ही नेल्सन से मिल रही थी, उसकी हॉस्पिटल