लौट आओ दीपशिखा - 3

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सुलोचना के चेहरे पर मुस्कुराहट देख वे परेशान हो उठे- “तुम मेरी बात कोतवज़्ज़ोनहीं दे रही हो ” “मैं सोच रही हूँ कि आख़िर है तो वो हमारी ही बेटी जब हमने अपनी शादी का फैसला खुदकिया तो वह क्यों नहीं कर सकती?” सुलोचना के याद दिलाने पे उन्हें अपनी शादी याद आ गई कैसे चार दोस्तोंकी उपस्थिति में उनका सुलोचना सेनिक़ाह हो गया था निक़ाह के समय उनका नाम बदलकरनिक़हत रखा गया था और सभी दंग रह गये थे जब सुलोचनाने निक़ाहनामेपर उर्दू लिपि में हस्ताक्षर किये थे फिर सुलोचना की मर्ज़ी के अनुसार यूसुफ़ ख़ाननेहिन्दू रीति से भी शादी की थी