लौट आओ दीपशिखा - 2

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“ठीक है, शेफ़ाली भी अगले महीने आ जाएगी तब तुम शायद होमसिक नहीं होगी सुलोचनाटेंशन में आ जाती हैं-तुम्हारे अकेलेपन को सोचकर ” दाई माँ ने नाश्ता मेज पर लगा दिया था- “पापा..... माँ की लाड़ली बिटिया हूँ न.....इसीलिए वैसे यहाँ मेरे सभी दोस्त बहुत मददगार हैं..... मुकेश तो घर तक छोड़ने आता है ” कह तो दिया था उसने फिर सकपका गई यूसुफ़ ख़ान के भी कान खड़े हुए- “ये मुकेश कौन है?”