क्रोध पर विजय

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रमेश बहुत ही मेहनती वकील थे।वह अपने काम को ईमानदारी और परिपूर्णता से करना चाहते थे। एक सीनियर वकील के अंदर में वह काम करते थे। वह दिल्ली में काम करते थे। एक बार उनके बॉस का एक क्लाइंट, जोकि बेंगलुरु का रहने वाला था, जरूरी काम से दिल्ली बुलाया।बेंगलुरु वाले क्लाइंट का काम रमेश को दे दिया। रमेश हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे। उनके ऊपर हमेशा अतिरिक्त काम करने का दबाव रहता था।इसके बावजूद वह कभी भी काम करने से कतराते नहीं थे। उनकी इसी विशेषता के कारण उनके बॉस का उनके ऊपर अति भरोसा प्रेम था। काम का