वफ़ाई के जाने के पश्चात जीत व्याकुल था। वह झूले पर बैठ गया। वफ़ाई के साथ व्यतीत क्षणों के स्मरण में खो गया। उसने एक एक क्षण को पकड़ना चाहा जो उसने वफ़ाई के साथ व्यतीत की थी। अपनी कल्पना में उसे पुन: जीने का प्रयास करने लगा, वह विफल रहा। उसने झूला छोड़ दिया, यहाँ से वहाँ घूमता रहा। झूले से चित्राधार तक, वहाँ से कक्ष में, कक्ष से घर के पीछे तक और पुन: झूले तक। हार कर जीत ने वफ़ाई के स्मरणों को भूलना चाहा, वह पुन: विफल हो गया। घर के प्रत्येक कोने में वफ़ाई की