रिश्तों की कड़वाहट

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यह पहली बार हुआ था कि किसी के बिछोह ने मुझे पूरी तरह से झकझोर दिया ।आज उनकी चिठ्ठी मेरे हाथों में थी और आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे।वैसे तो मुझे इस वृद्धाश्रम में आये बीस वर्ष हो गए थे, पच्चीस वर्ष की अवस्था में मेरी नियुक्ति सहायक के पद पर हुई थी और आज मैं प्रबन्धक के रूप में यहाँ का कामकाज देख रहा हूँ।मैंने पूर्ण सक्रियता और समर्पण के साथ यहाँ का काम देखना प्रारम्भ किया था जिसका परिणाम यह हुआ कि आसपास के क्षेत्र के लोग भी अब इसी वृद्धाश्रम को प्राथमिकता देने लगे थे।