“जीत, एक और बात। प्रत्येक कलाकार विशेष होता है, प्रत्येक कला विशेष होती है। दो चित्रकार अथवा दो सर्जक भी भिन्न होते हैं, विशेष होते हैं। यदि दोनों एक सी कला को प्रस्तुत करेंगे तो भी वह भिन्न भिन्न रूप से और विशेष रूप से करेंगे। जैसे सब कुछ एक दूसरे से भिन्न और विशेष है, वैसे ही तस्वीर कला भी अन्य कला से भिन्न है।“ “किन्तु तस्वीर कला...’ “जीत, दो तसवीरकार भी भिन्न है, विशेष है। यदि एक ही क्षण पर एक ही द्र्श्य की तस्वीर को एक ही कोने से मैं और तुम लेते हैं तो भी दोनों भिन्न सर्जन होंगे। और तुम कहते हो...“ वफ़ाई अविरत रूप से बोलती रही।