नादान दिल - 1

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वक्त किसी के लिए नहीं रुकता स्वप्निल। हाँ निशा!सच में वक्त से बड़ा बेवफा कोई नहीं। निराशा से स्वप्निल ने आह् भरी।एक खामोशी पसर गई दोनों के बीच।श्वेत धवल चाँदनी में निशा आँखों को भिगोती...सुबकती रही।स्वप्निल उसे तसल्ली देना चाहता था लेकिन हाथ रूक जाते।आँसुओं के वेग को अपने अंदर रोका हुआ था पता नहीं कब सैलाब बन उमड़ पड़े। यह अंतिम मुलाकात होगी हमारी..........। ....... कुछ कहोगे नहीं! वह बोली। सिर्फ इतना कि बहुत प्यार करता हूं तुम्हें। कह निशा को सीने से लगातार वह फफक पड़ा।दोनों के क्रंदन से शांत झील भी बेचैन हो रही थी।एक अजीब सा शोर था। इस समय को रोक लो ना!रोक लो