नागफनी के काँटे

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सान्या पास आकर खुशी से चहकती हुईं बोली – “अरे दी आप कब आई ?,आपने बताया भी नहीं , आप अपने आने की खबर कर देती तो घर की साफ -सफाई ही करा दी जाती । अच्छा दी, कोई बात नहीं अब आप हमारे घर चलिए । आज आप हम सबके साथ रुकिए, कल किसी को भेजकर सफाई करा दूंगी । वह एक ही सांस में धारा प्रवाह बोलती चली गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने घर की तरफ खींचने लगी। उसके अभिन्न प्यार को देख कर मैं मुस्कुरा उठी । मैं भी बहुत थकी हुई थी इसलिए मुझमे ना - नुकुर करने की हिम्मत नहीं बची थी । मुझे उसका प्रस्ताव मान लेना ही बेहतर लगा । मैंने भी अपना सामान उठा कर...