चाहत

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चाहत सावन माह में चारों ओर फैली हरियाली मन को प्रफुल्लित कर रहीं थी। आनन्द और राकेश बगीचे में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। उनमें इस बात पर चर्चा हो रही थी कि जीवन कैसा होना चाहिए। राकेश ने कहा- मैं तो समझता हूँ कि जीवन एक दर्पण के समान होता है। हमारी सोच सकारात्मक होना चाहिए। प्रभु की सर्वश्रेष्ठ कृति मानव है और उसका जीवन बिना संघर्ष के एवं बिना किसी सृजन के बेकार है। जीवन में सेवा सबसे बड़ा कर्म है। वे अपनी बातचीत में व्यस्त थे तभी चौकीदार ने आकर राकेश से कहा- सर, एक