मैं तुम्हारा भगवान हूँ और तुम मेरी ग़ुलाम

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तो आखिर तुम चाहते क्या हो , ना तुम ये चाहते हो कि मैं नॉकरी छोड़ू औऱ न तुम मेरे घर के काम में हाथ बटाना चाहते हो, और ना ये चाहते हो कि माता पिता यहाँ आये । तो मैं क्या निर्जीव प्राणी हूँ जिसे तकलीफ़ नही होती, जो थकती नही, जिसे ख़ुद के लिए वक़्त नही चाहिए। मैं इंसान हूँ रोबोट नही, पर तुम्हारी इंसानियत कही मर गयी है। ये बहस ख़त्म होने वाली नही थी, क्योंकि हमारे देश में एकभगवान वो है जिसे पूरी दुनिया मानती है और एक भगवान पति को बना दिया जाता है पत्नियों के लिए सिर्फ़,