तस्वीर

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“बच्चे कहाँ हैं?” “मर गए हैं” “सब के सब?” “हाँ, सब के सब आप को आज उन के मुतअल्लिक़ पूछने का क्या ख़याल आगया।” “मैं उन का बाप हूँ” “आप ऐसा बाप ख़ुदा करे कभी पैदा ही न हो” “तुम आज इतनी ख़फ़ा क्यों हो मेरी समझ में नहीं आता, घड़ी में रत्ती घड़ी में माशा हो जाती हो दफ़्तर से थक कर आया हूँ और तुम ने ये चख़ चख़ शुरू करदी है बेहतर था कि मैं वहां दफ़्तर ही मैं पंखे के नीचे आराम करता।”