स्वाभिमान - लघुकथा - 49

  • 7.7k
  • 1
  • 1.8k

'इस समय कौन आ सकता है?' डोर-बेल की आवाज पर सोचते हुए निशि ने दरवाजा खोला, सामने रवि था। वर्षों बाद पति को देख वह समझ नही सकी कि वह क्या करे? खामोशी से रास्ता देते हुए अंदर आ गयी और एक मेहमान की तरह उसके लिए नाश्ते का इंतजाम करने लगी।