स्वाभिमान - लघुकथा - 42

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आप यहां! अब यहां क्या लेने आए हो? पूरे दो साल हो गए अपनी जिंदगी और दिल से निकाले हुए, क्या देखने आए हो? जिंदा हूं ! या मर गई हूं! या अपनी रखेल के लिए कुछ मांगने आए हो। दो साल से मयके में रह रही पत्नि ने अचानक आए पति को देखकर बड़-बडाते हुए कहा‌।