स्वाभिमान - लघुकथा - 7

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सभी के लिए बात इतनी सी ही थी लेकिन सुशांत के लिए यह जीने मरने का सवाल था। ऊपर से सख्त आदेश था, भुगतान की फ़ाइल अटकनी नहीं चाहिए किसी हालत में, उसे उसका हिस्सा मिल जाएगा। लेकिन हिस्सा किस में से? कल उठ कर पुल दरक गया था तो… सुशांत सिहर उठा लाशों की कल्पना करके ही। हिस्सा? कौन सा हिस्सा? विधवा हो चुकी किसी नवविवाहिता का मंगलसूत्र, या किसी नवनियुक्त व्यक्ति की पहली पगार, नदी में बहकर जाता किसी मां के जिगर का टुकड़ा या किसी बूढ़े बाप की दम तोड़ती हुई इकलौती लाठी।