स्वाभिमान - लघुकथा - 6

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बहू, जुम्मे जुम्मे आठ दिन भी नहीं हुए शादी को और तुमने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये । माँ जी, यह आप क्या कह रहीं हैं? मैं कुछ समझी नहीं ? अरे वाह, चोरी और सीना जोरी । माँ जी, आप मेरी माँ समान हैं। मुझसे कोई गलती हुयी है तो बेशक डाँटिये फटकारिये मगर मेरी गलती तो बताइये ।