स्वाभिमान - लघुकथा - 2

  • 4.1k
  • 1
  • 700

मुग्ध मन से गुलदान में फूल सज़ा रही थी सुमन कि ‘डोर-बेल’बजी।द्वार खोला तो दिल खिल उठा…माँ-पापा खड़े थे सामने।वह माँ से गले मिलने के लिये आगे बढ़ी परंतु उन्होंने उसे परे धकेल दिया और दनदनाते हुए भीतर आ गईं।