यह सही है कि आज प्रतियोगिता का स्तर बहुत बढ़ गया है। लेकिन इसके लिए बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाना भी ठीक नहीं। शाज़िया अपने बेटे अमान पर बेवजह बोझ डाल रही थी। जबकी वह स्वयं एक ज़िम्मेदार बच्चा था। अपने शौहर अब्रार के समझाने का भी उस पर असर नहीं होता था। अंजाम क्या हुआ जानने के लिए कहानी पढ़ें....