धुंवे की लकीर

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अनुज अनुज! देखो तुम्हारे गाँव से आसमान की तरफ धुंवे की कितनी मोटी लकीर बन गयी है। रीना ने अनुज को आवाज लगाकर बताया तो अनुज बोला, रीना तुम गाँव देखने आई थीं न, अब तुम्ही देखो, मैं तो यह लकीर बचपन से देखता आया हूँ।