पांच नारंगी गुठलियाँ - 3

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हॉम्ज़ आख़री मुद्दे पे हंस दिए। “अच्छा,” उन्होंने कहा, “मैं अब भी कहता हु, जैसा मैंने तब कहा था, इंसान को अपने दिमाग़ की अटारी उस सारे असबाब से भर के रखनी चाहिए जिसका वो सम्भवित इस्तेमाल करने वाला हो, और बाक़ी का वो पुस्तकालय के कबाड़ख़ाने में रख सकता है जहाँ से वो उसे जब चाहे पा सके। अब, ऐसे केस के लिए जो आज रात हमें पेश किया गया है, हमें निश्चित रूप से चाहिए कि हम सारे संसाधन एकत्रित कर ले। कृपया, विश्वकोश का के॰ अक्षर उतार के मुझे दो, जो तुम्हारे पास की ताक़ पे पड़ा है। धन्यवाद। अब चलो हम परिस्थिति पर ग़ौर करते है और देखते है कि हम उससे क्या निष्कर्ष निकाल सकते है।