उलरिख वॉन जेटजीखोवन के वृत्तान्तों से ली गयी यह कहानी 13वीं सदी की है। बोधकथाओं या प्रकृत कथाओं से अलग यह प्रतीक-कथा अपने समय में एक नया आयाम उद्घाटित करती है। जब लांसलॉट लड़का ही था, जब उसके दाढ़ी नहीं आयी थी, तभी की यह कहानी है, जिसके कारण वह अपने समय के वीरों और सभ्य जनों के बीच ईर्ष्या और कुचर्चा का विषय बन गया था। एक बार वह दो वीर योद्धाओं के साथ गलागांद्रेज नामक जंगल के राजा के महल में गया। जंगल का वह राजा दो बातों के लिए प्रख्यात था - एक तो यह कि उसकी एक बहुत खूबसूरत लड़की थी, और दूसरी यह कि वह बहुत भयंकर आदमी था। उसके महल का नियम यह था कि कोई भी उसकी सुन्दरी लड़की की ओर यदि जरा भी बुरी निगाह से देखता पाया जाता, तो उसका सर धड़ से अलग कर दिया जाता था। बहुत-से वीर योद्धा यह गलती करके अपनी जान से हाथ धो चुके थे। वह शहजादी कुमारी थी, और उसके पिता की यह प्रतिज्ञा थी कि मृत्यु पर्यन्त वह कुमारी ही रहेगी।