अलिफ़ लैला - 14

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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँगा कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ और मेरी आँख कैसे फूटी। मैं एक बड़े राजा का पुत्र था। बाल्यकाल ही से मेरी विद्यार्जन में गहरी रुचि थी। अतएव मेरे पिता ने दूर-दूर से प्रख्यात शिक्षक बुलाकर मेरी शिक्षा के लिए रखे। थोड़े ही समय में मैंने न केवल लिखना-पढ़ना सीख लिया बल्कि कुरान शरीफ भी कंठस्थ कर लिया। इसके अतिरिक्त नबी के कथनों यानी हदीसों और धर्म और दर्शनशास्त्र की शिक्षा भी प्राप्त कर ली। इसके अतिरिक्त भाँति-भाँति के कला- कौशल भी सीख लिए और इतिहास, पहेली और मनोरंजन वार्ता में भी पारंगत हो गया। मैंने काव्यशास्त्र और गणित में भी अच्छा अभ्यास कर लिया जैसा एक राजकुमार होने के नाते मुझसे आशा की जाती थी। इन सबके साथ ही मैंने सुलेखन में भी दक्षता प्राप्त कर ली और अरबी लिपि की सातों लेखन पद्धतियों का मुझे ऐसा अभ्यास हो गया कि मेरे जैसा सुलेखक दूर-दूर तक नहीं पाया जाता था।