रूस के पत्र - 9

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हमारे देश में पॉलिटिक्स को जो लोग खालिस पहलवानी समझते हैं, उन लोगों ने सब तरह की ललित कलाओं को पौरुष का विरोधी मान रखा है। इस विषय में मैं पहले ही लिख चुका हूँ। रूस का जार किसी दिन दशानन के समान सम्राट था, उसके साम्राज्य ने पृथ्वी का अधिकांश भाग अजगर साँप की तरह निगल लिया था और पूँछ से भी जिसको उसने लपेटा, उसके भी हाड़-माँस पीस डाले।