आजाद-कथा - खंड 2 - 102

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चौथी के दिन रात को नवाब साहब ने सुरैया बेगम को छेड़ने के लिए कई बार फीरोजा बेगम की तारीफ की। सुरैया बेगम बिगड़ने लगीं और बोली - अजब बेहूदा बातें हैं तुम्हारी, न जाने किन लोगों में रहे हो कि ऐसी बातें जबान से निकलती हैं। नवाब - तुम नाहक बिगड़ती हो, मैं तो सिर्फ उनके हुस्न की तारीफ करता हूँ। सुरैया - ऐ, तो कोई ढूँढ़के वैसी ही की होती। नवाब - तुम्हारे यहाँ कभी-कभी आया-जाया करती है?