आजाद-कथा - खंड 2 - 91

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जब रात को सब लो खा-पी कर लेटे, तो नवाब साहब ने दोनों बंगालियों को बुलाया और बोले - खुदा ने आप दोनों साहबों को बहुत बचाया, वरना शेरनी खा जाती। बोस - हम डरता नहीं थ, हम शाला ईश फील का बान को मारना चाहता था कि हम ईश देश का आदमी नहीं है। इस माफिक हमारे को डराने सकता और हाथी को बोदजाती से हिलाने माँगें। जब तो हम लोग बड़ा गुस्सा हुआ कि अरे सब लोग का हाथी हिलने नहीं माँगता, तुम क्यों हिलने माँगता है। और हमसे बोला कि बाबू शाब, अब तो मरेगा। हाथी का पाँव फिसलेगी और तुम मर जायँगे। हम बोला - अरे, जो हाथी की पाँव फिसल जायगी तो तुम शाले का शाला कहाँ बच जायगा? तुम भी तो हमारा एक साथ मरेगा।