आजाद-कथा - खंड 2 - 89

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सुरैया बेगम ने अब थानेदार के साथ रहना मुनासिब न समझा। रात को जब थानेदार खा पी कर लेटा तो सुरैया बेगम वहाँ से भागी। अभी सोच ही रही थी कि एक चौकीदार मिला। सुरैया बेगम को देख कर बोला - आप कहाँ? मैंने आपको पहचान लिया है। आप ही तो थानेदार साहब के साथ उस मकान में ठहरी थीं। मालूम होता है, रूठ कर चली आई हो। मैं खूब जानता हूँ।