आजाद-कथा - खंड 2 - 83

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शाहजादा हुमायूँ फर भी शादी की तैयारियाँ करने लगे। सौदागरों की कोठियों में जा-जा कर सामान खरीदना शुरू किया। एक दिन एक नवाब साहब से मुलाकात हो गई। बोले - क्यों हजरत, यह तैयारियाँ! शाहजादा - आपके मारे कोई सौदा न खरीदे? नवाब - जनाब, चितवनों से ताड़ जाना कोई हमसे सीख जाय। शाहजादा - आपको यकीन ही न आए तो क्या इलाज?