आजाद-कथा - खंड 2 - 67

  • 6k
  • 1.4k

सुरैया बेगम ने आजाद मिरजा के कैद होने की खबर सुनी तो दिल पर बिजली सी गिर पड़ी। पहले तो यकीन न आया, मगर जब खबर सच्ची निकली तो हाय-हाय करने लगी। अब्बासी - हुजूर, कुछ समझ में नहीं आया। मगर उनके एक अजीज हैं। वह पैरवी करने वाले हैं। रुपए भी खर्च करेंगे। सुरैया बेगम - रुपया निगोड़ा क्या चीज है। तुम जा कर कहो कि जितने रुपयों की जरुरत हो, हमसे लें। अब्बासी आजाद मिरजा के चाचा के पास जा कर बोली - बेगम साहब ने मुझे आपके पास भेजा है और कहा है कि रुपए की जरूरत हो तो हम हाजिर हैं। जितने रुपए कहिए, भेज दें।