आजाद-कथा - खंड 1 - 47

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आज हम उन नवाब साहब के दरबार की तरफ चलते हैं, जहाँ खोजी और आजाद ने महीनों मुसाहबत की थी और आजाद बटेर की तलाश में महीनों सैर-सपाटे करते रहे थे। शाम का वक्त था। नवाब साहब एक मसनद पर शान से बैठे हुए थे। इर्द-गिर्द मुसाहब लोग बैठे हुक्कके गुड़गुड़ाते थे। बी अलारक्खी भी जा कर मसनद का कोना दबा कर बैठीं।