आजाद-कथा - खंड 1 - 27

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मियाँ आजाद और खोजी चलते-चलते एक नए कस्बे में जा पहुँचे और उसकी सैर करने लगे। रास्ते में एक अनोखी सज-धज के जवान दिखाई पड़े। सिर से पैर तक पीले कपड़े पहने हुए, ढीले पाँयचे का पाजामा, केसरिये केचुल लोट का अँगरखा, केसरिया रँगी दुपल्ली टोपी, कंधों पर केसरिया रूमाल जिसमें लचका टँका हुआ। सिन कोई चालीस साल का। आजाद - क्यों भई खोजी, भला भाँपो तो, यह किस देश के हैं। खोजी - शायद काबुल के हों। आजाद - काबुलियों का यह पहनावा कहाँ होता है। खोजी - वाह, खूब समझे! क्या काबुल में गधे नहीं होते?