आजाद-कथा - खंड 1 - 24

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बड़ी बेगम साहबा पुराने जमाने की रईसजादी थीं, टोने टोटके में उन्हें पूरा विश्वास था। बिल्ली अगर घर में किसी दिन आ जाय, तो आफत हो जाय। उल्लू बोला और उनकी जान निकली। जूते पर जूता देखा और आग हो गईं। किसी ने सीटी बजाई और उन्होंने कोसना शुरू किया। कोई पाँव पर पाँव रख कर सोया और आपने ललकारा। कुत्ता गली में रोया और उनका दम निकल गया। रास्ते में काना मिला ओर उन्होंने पालकी फेर दी। तेली की सूरत देखी और खून सूख गया। किसी ने जमीन पर लकीर बनाई और उसकी शामत आई। रास्ते में कोई टोक दे, तो उसके सिर हो जाती थीं। सावन के महीने में चारपाई बनवाने की कसम खाई थी।