महाराजा ग से रेस कोर्स पर अशोक की मुलाक़ात हुई। इस के बाद दोनों बेतकल्लुफ़ दोस्त बन गए।
महाराजा ग को रेस के घोड़े पालने का शौक़ ही नहीं ख़बत था। उस के अस्तबल में अच्छी से अच्छी नसल का घोड़ा मौजूदत था। और महल में जिस के गुन्बद रेस कोर्स से साफ़ दिखाई देते थे। तरह तरह के अजाइब मौजूद थे।