वर्तमान युग में कई प्रकार के अंतर्विरोध उभर कर सामने आ रहे हैं । एक ओर आज भी कुछ शिक्षित-अशिक्षित स्त्रियां सज-सँवरकर स्वयं को उपभोग की सामग्री के रूप में प्रस्तुत करने में संकोच नहीं करती है, तो दूसरी और कुछ शिक्षित-अशिक्षित स्त्रियां निरंतर अपने अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए संघर्षरत हैंं । कुछ पुरानी निरर्थक रूढ़ियों को तोड़कर पुरानी किंतु स्वस्थ परंपराओं का निर्वाह करते हुए उनमें नए प्राण फूंक रही हैंं, तो कुछ विचार शून्य स्त्रियां निरर्थक रूढ़ियों को ढोने में ही अपने कर्तव्य की इतिश्री समझती हैंं । प्रस्तुत रचना जीर्ण-शीर्ण रूढ़ियों से मुक्ति तथा नवीन स्वस्थ परंपराओं को स्थापित करने का साहस रखने वाली नीला की रोचक कहानी है ।