शेख मख़मूर

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तब एक दिन शाह बामुराद बस्ती के सरदार के पास गया और उससे कहा की वो शादी करना चाहता है सरदार तो उसके इस पैगाम को सुन कर अचम्भे में ही रह गया, परन्तु उसके दिलमे शाह साहब के कमाल और उनकी फकीरी में वो गहरा विश्वास रखता ट हा इस लिये वो पलट कर जवाब न दे सका और अपनी कुंआरी नौजवान बेटी उनको भेंट कर दी तीसरे ही साल उस युवती से एक बालक पैदा हुआ और शाह साहब ख़ुशी के मारे फुले नहीं समाते थे उन्हों ने बच्चे को गोद में उठा लिया और उसकी माँ हैरत भरी नज़रों से उन्हें देखती रही शाह साहब जोश भरे लहजे में बोले...