सखियाँ

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मगर उस कोठरी में बैठे बैठे ही संध्या हो गई परन्तु अभी तक मंगरू का कहीं कुछ पता नहीं चला था अब तो उसे छुट्टी भी मिल गयी होगी, क्यूंकि साँझ को तो सभी को छुट्टी मिल जाती है बस अब वो आ ही रहे होंगे मगर बूढ़े बाबा ने उनसे कह तो दिया होगा ना? और वो भी? अपने साहब से थोडा कह कर थोड़ी देर की छुट्टी भी नहीं ले सकते थे क्या? कोई तो बात होगी ही, तभी तो आये नहीं! अँधेरा घना हो गया और कोठरी में दीपक भी नहीं था गोरा द्वार पर खड़ी खड़ी अपने पति की राह देख रही थी और ...